सुरज की डांट
सुरज की डांट।
तिलमिलाए सूरज को बहुत ही गुस्सा आया।
आजकल की पीढ़ी को खत लिख डाला।
चन्दा मामा के स्नेह में चाहे बिताओ रात।
लेकिन सूरज चाचा की कान ।
खोलकर सुन लो इक बात।
सुबह सवेरे कहाँ चले जाते हो।
सबसे सुनहरा सुबह का वक़्त।
सोने में बिताते हो।
ना कोई व्यायाम ना कोई योग ।
ना जाने कितने लगा लिए रोग।
तुम्हे नही कोई आभास।
क्या खो रहे हो तुम आज।
मैं अपनी किरणों में विटामिन डी लेकर आता हूँ।
मजबूत रहे तुम्हारी हड्डीयाँ बस यहीं चाहता हूँ।
आलस छोड़ो । अपने प्रभू की करों वन्दना।
सुहाने मौसम में ताजी हवा को।
अपनी सांसों में भर लेना।
जैसे मैं चमकता हूँ ।
करता सारे जहा को रोशन।
तुम भी स्वस्थ बनो ।
करों निरोग भारत के भविष्य का पोषण ।
नीलम गुप्ता🌹🌹 (नजरिया )🌹🌹
दिल्ली
Aliya khan
22-Mar-2021 01:00 PM
Sb ko pata h fir bhi koi karta nhu
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Satesh Dev Pandey
18-Mar-2021 11:15 PM
वाह वाह बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
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